हिन्दी भाषी ही नहीं हिन्दी सेवी भी बनें।
अगर आप चाहते हैं कि आप की राजभाषा हिन्दी विश्व की श्रेष्ठ भाषाओं में शामिल हो तो हिन्दी बोलने मात्र से यह कार्य सिद्ध नहीं होगा बल्कि इसके लिए हमें हिन्दी की सेवा करनी होगी। हम हिन्दी के महान सेवकों - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रेमचन्द और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से बहुत कुछ सीख सकते हैं, जिन्होंने अपना समस्त जीवन हिन्दी के लिए समर्पित कर दिया। ये बातें शासकीय शहीद कौशल यादव महाविद्यालय गुण्डरदेही की प्राचार्य डाॅ.(श्रीमती) श्रद्धा चन्द्राकर ने हिन्दी दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने हिन्दी के अशुद्ध प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए छात्र - छात्राओं को शुद्ध हिन्दी सीखने पर बल दिया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि जिस प्रकार समाज में परिवर्तन होते रहता है उसी प्रकार हिन्दी भाषा में भी परिवर्तन होते रहें हैं। हिन्दी भाषा में नित्य नये - नये शब्दों का समावेश हो रहा है। इन शब्दों को स्वीकार कर हिन्दी भाषा को और अधिक समृद्ध बनाया जाना चाहिए। 14 सितम्बर हिन्दी दिवस के अवसर पर शासकीय शहीद कौशल यादव महाविद्यालय गुण्डरदेही में भाषण प्रतियोगिता एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्र - छात्राओं ने हिन्दी भाषा पर अपने विचार रखें। सभी ने एक स्वर से हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने एवं इसे विष्व भाषा बनाने का संकल्प लिया। डाॅ.ए.के.पटेल, सहायक प्राध्यापक, हिन्दी ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि जब तक हिन्दी को उच्च शिक्षा का माध्यम नहीं बनाया जायेगा तब तक उच्च शिक्षा में मौलिक चिंतन एवं खोज को बढ़ावा देना असंभव है, क्योंकि हम सोचते तो हिन्दी में है पर लिखना हमें अंग्रेजी भाषा में पड़ता है। जिसके कारण हम जो सोचते है वही लिख नहीं पाते हैं। इतिहास गवाह है विश्व के जिन देषों ने अपने मातृभाषा को अपने अध्ययन, अध्यापन, शासन - प्रशासन की भाषा बनाया वे महान राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर हैं। जापान, चीन, रूस, जर्मनी से हम सीख सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डाॅ.(श्रीमती) निगार अहमद, सहायक प्राध्यापक, अंग्रेजी ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ.(श्रीमती) चंदना बोस, डाॅ.डी.आर.मेश्राम, डाॅ.के.डी.चावले, प्रो.डी.एस.सहारे, डाॅ.ए.के.पटेल, अतिथि प्राध्यापकगण एवं भारी संख्या में छात्र - छात्राएं सम्मिलित हुए।