‘‘ शासकीय महाविद्यालय गुंडरदेही में मनाया गया हिंदी दिवस ’’
शासकीय शहीद कौशल यादव महाविद्यालय, गुण्डरदेही, जिला - बालोद (छ.ग.) में हिंदी दिवस के अवसर पर एक दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ.पूनम, विभागाध्यक्ष हिंदी भाषा एवं साहित्य, गुरु नानक इन्स्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन मुरथल, हरियाणा थी। इन्होंने बताया कि हिंदी में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, जरूरत है हिंदी पढ़ने-लिखने वाले लोग आज के समय और समाज के साथ कदम ताल मिलाने की। डॉ.पूनम ने बताया कि अंग्रेजी बिजनेस की भाषा है जबकि हिंदी हमारे भावनाओं की भाषा है, विचारों की भाषा। हम जो सोचते हैं उसको अपनी मातृभाषा हिंदी में अभिव्यक्त करते हैं। अगर आज की युवा पीढ़ी आधुनिक संचार के साधनों के साथ आधुनिक तकनीक के साथ अपनी रुचि को ध्यान में रखते हुए हिंदी में रचनात्मक लेखन ,गीत लेखन रिपोर्टिंग लेखन करते हैं तो रोजगार के नए आयाम खोल सकते हैं। डॉ. पूनम ने बताया कि आज कोई भी छात्र-छात्रा चाहे तो घर बैठे ब्लॉग लिखकर या यूट्यूब पर वीडियो बनाकर या अपने पसंद के रैंप जो एक प्रकार की कविता है, उसको लिख कर भी अच्छा पैसा कमा सकता है। आज हिन्दी 60 करोड़ से ज्यादा लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली भाषा है ऐसे में हिन्दी का बाजार बहुत बड़ा है। आज हिंदी के विद्यार्थी हिन्दी शिक्षक या प्रोफेसर बनने के साथ-साथ अनुवादक, राजभाषा अधिकारी, फिल्म स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार के क्षेत्र में रोजगार पा सकते हैं साथ ही अपनी अलग पहचान बना सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. (श्रीमती) श्रद्धा चंद्राकर ने किया और उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हमें हिंदी को सीखना चाहिए। ऐसा नहीं है हिन्दी हमारी मातृभाषा है तो हमें अलग से सीखने की जरूरत नहीं है। आज बेहतर हिन्दी जानने वालों को रोजगार की कमी नहीं है। समय के साथ हिन्दी में नए शब्दों को शामिल किया जाना भी जरूरी है ताकि बदलते समय और समाज के साथ हिंदी भाषा कदम ताल मिला सके। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.अभिषेक कुमार पटेल ने बताया कि आज हिन्दी के क्षेत्र में काम करने वाले कई पत्रकार, स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार, अनुवादक अपने-अपने अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छू रहे हैं। जरूरत इस बात का है कि हिन्दी को पढ़ने लिखने वाले लोग समय के जरूरत के हिसाब से अपने अंदर परिवर्तन लाएं और समय के साथ कदमताल मिलाएं। तभी हम हिन्दी को प्रचार-प्रसार में भी सहयोग कर सकते हैं और अपनी भाषा संस्कृति और साहित्य की सेवा भी कर सकते हैं। इस कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन करते हुए महाविद्यालय के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. (श्रीमती) निगार अहमद ने हिन्दी को हमारे देश की अस्मिता और हमारे स्वाभिमान का प्रतीक बताया। जिसको अपना कर हमें गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.डी.आर.मेश्राम, डॉ.के.डी.चावले, और प्रो.डी.एस.सहारे की गरिमामय उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में गूगल मीट के माध्यम से इस महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के अलावा कई दूसरे महाविद्यालयों विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी भी जुड़े और इस व्याख्यान का लाभ उठाया।